जैव विकास के प्रमुख सिद्धांत
1. लैमार्कवाद (उपार्जित लक्षणों की वंशानुगति)
- प्रस्तावक: जीन-बैप्टिस्ट लैमार्क (1809, फिलोसोफिक जूलोजिक)
- विचार: वातावरण की जरूरतें और अंगों का उपयोग या अनुपयोग संरचना में बदलाव लाता है, जो अगली पीढ़ी में जाता है।
- उदाहरण:
- जिराफ की लंबी गर्दन: ऊँचे पेड़ों की पत्तियाँ खाने के लिए।
- सर्प की टाँगों का लुप्त होना: बिल में कम उपयोग।
- जलीय पक्षियों में पादजा का विकास।
- मांसाहारियों में तीखे नाखून।
- खंडन:
- वीजमैन का प्रयोग: चूहों की पूँछ 20-22 पीढ़ियों तक काटने पर भी पूँछ नहीं लुप्त हुई।
- भारत में कान-नाक छेदना वंशानुगत नहीं हुआ।
- निष्कर्ष: सभी उपार्जित लक्षण वंशानुगत नहीं; केवल जननद्रव्य लक्षण ले जाता है।
परीक्षा टिप: जिराफ और सर्प के उदाहरण MCQs में पूछे जाते हैं। वीजमैन का खंडन याद करें।
2. डार्विनवाद (प्राकृतिक वरण का सिद्धांत)
- प्रस्तावक: चार्ल्स डार्विन (1859, ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज)
- विचार: अनुकूल विभिन्नताओं वाले जीव जीवन संघर्ष में जीवित रहते हैं, ये लक्षण अगली पीढ़ी में जाते हैं, जिससे नई जातियाँ बनती हैं।
- मुख्य बिंदु:
- उच्च जनन क्षमता।
- जीवन संघर्ष: अंतर्जातीय, अंतरजातीय, वातावरणीय।
- विभिन्नताएँ।
- योग्यतम की उत्तरजीविता।
- अनुकूल लक्षणों की वंशानुगति।
- उदाहरण: गैलापागोस फिंच की चोंच, पेपर्ड मॉथ का रंग बदलाव।
परीक्षा टिप: फिंच और पेपर्ड मॉथ के उदाहरण MCQs और वर्णनात्मक प्रश्नों में आते हैं।
3. उत्परिवर्तनवाद
- प्रस्तावक: ह्यूगो डी व्रीज।
- विचार: जीन में अचानक बदलाव (उत्परिवर्तन) नई जातियाँ बनाते हैं।
- उदाहरण: पौधों में नए रंग/आकार, जंतुओं में नए लक्षण।
- महत्त्व: तेजी से विकास की व्याख्या।
परीक्षा टिप: डार्विन (क्रमिक) और डी व्रीज (अचानक) के अंतर को समझें।
4. आधुनिक संश्लेषण सिद्धांत
- प्रस्तावक: जूलियन हक्सले, डोबजांस्की, मेयर आदि।
- विचार: डार्विन का प्राकृतिक वरण और मेंडल की आनुवंशिकी का मिश्रण; उत्परिवर्तन, जीन प्रवाह, और आनुवंशिक बहाव विकास को चलाते हैं।
- मुख्य बिंदु:
- उत्परिवर्तन नए लक्षण देता है।
- प्राकृतिक वरण अनुकूल लक्षण चुनता है।
- जीन प्रवाह और आनुवंशिक बहाव विविधता लाते हैं।
- उदाहरण: बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध।
परीक्षा टिप: बैक्टीरिया प्रतिरोध और जीन प्रवाह के उदाहरण MCQs में पूछे जा सकते हैं।
5. जैव विकास के प्रमाण
- वर्गीकरण: समान संरचना वाले जीव एक वर्ग में (जैसे, मछली-पिसीज, स्तनधारी-मैमेलिया)।
- तुलनात्मक शरीर रचना:
- समजात अंग: एक जैसी संरचना, अलग कार्य (जैसे, मानव का हाथ, चमगादड़ का पंख)।
- समवृत्ति अंग: अलग संरचना, एक जैसा कार्य (जैसे, कीट और पक्षी के पंख)।
- अवशेषी अंग: बेकार अंग (जैसे, मानव का अपेंडिक्स, कोक्सिक्स)।
- तुलनात्मक भ्रूणिकी: प्रारंभिक भ्रूण समान, सामान्य पूर्वज का संकेत।
- योजक कड़ियाँ:
- आर्कियोप्टेरिक्स: सरीसृप-पक्षी।
- प्लेटीपस: पक्षी-स्तनधारी।
- फुफ्फुस मछली: मछली-उभयचर।
परीक्षा टिप: आर्कियोप्टेरिक्स और अपेंडिक्स MCQs में बार-बार आते हैं।
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