मौर्य कला और संस्कृति का परिचय

मौर्य कला और संस्कृति: एक व्यापक परिचय

मौर्य साम्राज्य (321-185 ईसा पूर्व) न केवल अपनी प्रशासनिक और सैन्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध था, बल्कि अपनी समृद्ध कला और संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। मौर्य काल में कला, स्थापत्य, साहित्य, और धार्मिक सहिष्णुता ने भारतीय संस्कृति को नया आयाम दिया। यह पोस्ट मौर्य कला, संस्कृति, अधिकारियों के पद, शब्दावली, ग्रंथ, कवि, और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को रंगीन और व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करती है।

1. मौर्य कला और संस्कृति का परिचय

मौर्य काल की कला और संस्कृति में बौद्ध धर्म का प्रभाव प्रमुख था, विशेष रूप से सम्राट अशोक के शासनकाल में। मौर्य कला में स्थापत्य, मूर्तिकला, और शिलालेख प्रमुख थे, जबकि संस्कृति में धार्मिक सहिष्णुता, साहित्य, और सामाजिक सुधार देखे गए।

विशेषता विवरण
काल 321-185 ईसा पूर्व
प्रमुख योगदान अशोक स्तंभ, स्तूप, बौद्ध कला, ब्राह्मी लिपि
प्रमुख प्रभाव बौद्ध, जैन, और वैदिक परंपराएँ

2. मौर्य कला

स्थापत्य

मौर्य काल में स्थापत्य कला का विकास हुआ, जिसमें पत्थर का उपयोग और पॉलिश तकनीक प्रमुख थी।

  • अशोक स्तंभ: एकाश्म (मोनोलिथिक) स्तंभ, जैसे सारनाथ का सिंह चिह्न और लौरिया नंदनगढ़।
  • स्तूप: सांची, बोधगया, और अमरावती में बौद्ध स्तूप।
  • गुफाएँ: बराबर और नगरजुनी गुफाएँ, आजीवक संप्रदाय के लिए।
  • महल: पाटलिपुत्र में लकड़ी और पत्थर के महल, मेगस्थनीज के विवरण के अनुसार।

मूर्तिकला

मौर्य मूर्तिकला में यथार्थवाद और प्रतीकात्मकता थी।

प्रमुख मूर्तियाँ:
1. यक्ष और यक्षिणी: दीदारगंज यक्षिणी (पटना)।
2. बुद्ध प्रतिमाएँ: प्रारंभिक बौद्ध प्रतीक (पद्म, धर्मचक्र)।
3. पशु चिह्न: अशोक स्तंभों पर सिंह, हाथी, बैल।
        

शिलालेख

अशोक के शिलालेख ब्राह्मी लिपि में थे, जो धर्म, नैतिकता, और शासन नीतियों को दर्शाते थे।

प्रकार उदाहरण
प्रमुख शिलालेख दिल्ली-टोपरा, गिरनार, कालसी
लघु शिलालेख बराबर गुफा, मस्की
स्तंभ लेख सारनाथ, प्रयाग

3. मौर्य संस्कृति

धर्म और दर्शन

मौर्य काल में धार्मिक सहिष्णुता थी, और विभिन्न धर्मों का विकास हुआ।

  • बौद्ध धर्म: अशोक द्वारा प्रचार, बौद्ध संगीतियों का आयोजन।
  • जैन धर्म: चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा अपनाया गया।
  • वैदिक धर्म: यज्ञ और अनुष्ठान।
  • आजीवक संप्रदाय: मौर्य शासकों द्वारा समर्थन।

सामाजिक जीवन

मौर्य समाज में वर्ण व्यवस्था थी, लेकिन सामाजिक सुधार और कल्याणकारी नीतियाँ थीं।

सामाजिक विशेषताएँ:
1. शिक्षा: तक्षशिला और पाटलिपुत्र में शिक्षा केंद्र।
2. महिलाएँ: समाज में सम्मान, लेकिन पितृसत्तात्मक व्यवस्था।
3. कल्याण: अशोक द्वारा अस्पताल, सड़कें, और वृक्षारोपण।
        

भाषा और लिपि

ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा का उपयोग हुआ। अशोक के शिलालेखों में स्थानीय भाषाएँ भी शामिल थीं।

4. मौर्य प्रशासन: अधिकारी और पद

मौर्य प्रशासन अत्यधिक संगठित था, और विभिन्न अधिकारियों के लिए विशेष पद थे।

पद कार्य
सम्राट सर्वोच्च शासक, नीति निर्माता
अमात्य उच्च प्रशासक, सलाहकार
कुमार प्रांतीय शासक (राजकुमार)
स्थानिक जिला प्रशासक
गोप गाँवों का प्रबंधक
धर्ममहामात्र अशोक द्वारा नियुक्त, धम्म प्रचार
युक्त लेखा और राजस्व अधिकारी

5. महत्वपूर्ण शब्दावली

मौर्य काल में कई शब्द प्रचलित थे, जो प्रशासन और संस्कृति को दर्शाते थे।

प्रमुख शब्द:
1. धम्म: अशोक की नैतिक और धार्मिक नीति।
2. धर्मलिपि: अशोक के शिलालेख।
3. संनाथ: राजा का संरक्षण प्राप्त व्यक्ति।
4. पण: चाँदी के सिक्के, मुद्रा।
5. संगम: बौद्ध भिक्षुओं की सभा।
        

6. साहित्य और ग्रंथ

मौर्य काल में कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए, जो प्रशासन, दर्शन, और धर्म को दर्शाते हैं।

ग्रंथ लेखक विवरण
अर्थशास्त्र कौटिल्य (चाणक्य) प्रशासन, अर्थव्यवस्था, और नीति पर ग्रंथ
इंडिका मेगस्थनीज मौर्य समाज और प्रशासन का विदेशी विवरण
मुद्राराक्षस विशाखदत्त चंद्रगुप्त के उदय पर नाटक
दिव्यावदान बौद्ध लेखक अशोक और बौद्ध धर्म की कहानियाँ

7. महत्वपूर्ण दरबारी कवि और विद्वान

मौर्य दरबार में कई विद्वान और कवि थे, जिन्होंने साहित्य और नीति में योगदान दिया।

नाम योगदान
कौटिल्य (चाणक्य) अर्थशास्त्र के लेखक, चंद्रगुप्त के गुरु और सलाहकार
मेगस्थनीज यूनानी राजदूत, इंडिका के लेखक
अमरसिंह प्रशासक और विद्वान, अर्थशास्त्र में उल्लेख
बौद्ध भिक्षु दिव्यावदान और बौद्ध साहित्य के रचयिता

नोट: मौर्य काल में दरबारी कवियों का स्पष्ट उल्लेख कम है, क्योंकि साहित्य मुख्य रूप से धार्मिक और प्रशासनिक था।

8. अन्य सांस्कृतिक पहलू

शिक्षा

मौर्य काल में शिक्षा का विकास हुआ। तक्षशिला और पाटलिपुत्र शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी

धातु कार्य, पॉलिश तकनीक, और सिंचाई प्रणाली में प्रगति हुई।

व्यापार और अर्थव्यवस्था

मौर्य काल में आंतरिक और बाहरी व्यापार (रोम, मध्य एशिया) फला-फूला।

प्रमुख व्यापारिक केंद्र:
1. पाटलिपुत्र: व्यापार और प्रशासन का केंद्र।
2. तक्षशिला: उत्तर-पश्चिम में व्यापार हब।
3. उज्जयिनी: दक्षिणी व्यापार मार्ग।
        

9. मौर्य कला और संस्कृति की विरासत

मौर्य कला और संस्कृति ने भारतीय कला, स्थापत्य, और धर्म को गहराई से प्रभावित किया। अशोक स्तंभ और सanchi स्तूप आज भी भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं।

10. प्रमुख प्रतीक और शब्द

प्रतीक

- अशोक स्तंभ: शक्ति और धर्म का प्रतीक।
- धर्म चक्र: बौद्ध धर्म और अशोक की नीति।
- सिंह चिह्न: मौर्य साम्राज्य की शक्ति।
- यक्षिणी: सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक।

शब्द

  • धम्म: अशोक की नैतिक नीति।
  • शिलालेख: अशोक के संदेश।
  • स्तूप: बौद्ध स्मारक।
  • कुमार: प्रांतीय शासक।

निष्कर्ष

मौर्य कला और संस्कृति भारतीय इतिहास का एक चमकदार अध्याय है। इसकी स्थापत्य कला, मूर्तिकला, साहित्य, और धार्मिक सहिष्णुता ने विश्व संस्कृति को समृद्ध किया। मौर्य काल की विरासत आज भी भारतीय कला और संस्कृति में जीवंत है।

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