अशोक के शिलालेखों

सम्राट अशोक के शिलालेख: पूर्ण विवरण और स्थान

सम्राट अशोक के शिलालेख प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं, जो उनके धम्म (नैतिक नीति), प्रशासन, और बौद्ध धर्म के प्रचार को दर्शाते हैं। ये शिलालेख पत्थरों, स्तंभों, और गुफाओं पर उत्कीर्ण हैं और भारत सहित अन्य देशों में फैले हैं। यह पोस्ट अशोक के शिलालेखों के प्रकार, सामग्री, स्थान, भाषा, लिपि, और महत्व को विस्तार से प्रस्तुत करती है।

1. अशोक के शिलालेखों का परिचय

अशोक के शिलालेख (3री शताब्दी ईसा पूर्व) उनके शासनकाल की नीतियों, नैतिक दर्शन, और सामाजिक सुधारों का प्राथमिक स्रोत हैं। ये शिलालेख ब्राह्मी, खरोष्ठी, और अन्य लिपियों में लिखे गए और प्राकृत, ग्रीक, और अरमाइक भाषाओं में हैं।

विशेषता विवरण
काल 268-232 ईसा पूर्व (अशोक का शासनकाल)
प्रमुख उद्देश्य धम्म का प्रचार, प्रशासनिक निर्देश, नैतिक शिक्षाएँ
प्रमुख लिपियाँ ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक, अरमाइक
प्रमुख भाषाएँ प्राकृत, ग्रीक, अरमाइक

2. शिलालेखों के प्रकार

अशोक के शिलालेखों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:

1. प्रमुख शिलालेख (Major Rock Edicts): 14 शिलालेखों का समूह, धम्म और नीतियों का विस्तृत विवरण।
2. लघु शिलालेख (Minor Rock Edicts): छोटे संदेश, प्रारंभिक धम्म प्रचार।
3. स्तंभ लेख (Pillar Edicts): सात प्रमुख लेख, स्तंभों पर उत्कीर्ण, नैतिक और प्रशासनिक।
        

अन्य प्रकार

  • गुफा शिलालेख: बराबर और नगरजुनी गुफाओं में, आजीवक संप्रदाय को समर्पित।
  • विशेष शिलालेख: जैसे रुम्मिनदेई (बुद्ध के जन्मस्थान), निगाली सागर।
  • द्विभाषी शिलालेख: कंधार में ग्रीक और अरमाइक में।

3. शिलालेखों की सामग्री

अशोक के शिलालेखों में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:

विषय विवरण
धम्म अहिंसा, सत्य, करुणा, और सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता
प्रशासन प्रजा कल्याण, सड़कें, अस्पताल, और वृक्षारोपण
नैतिकता माता-पिता का सम्मान, गुरुजनों की सेवा
बौद्ध धर्म बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार, तीर्थयात्राएँ
सामाजिक सुधार पशु बलि पर प्रतिबंध, पर्यावरण संरक्षण

उदाहरण: प्रमुख शिलालेख 13 में अशोक ने कलिंग युद्ध की भयावहता और अपने पश्चाताप का वर्णन किया।

4. शिलालेखों के स्थान

अशोक के शिलालेख भारत, नेपाल, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान में फैले हैं। नीचे प्रमुख शिलालेखों के स्थान दिए गए हैं:

प्रमुख शिलालेख (Major Rock Edicts)

स्थान विवरण
गिरनार (गुजरात) सौराष्ट्र में, 14 शिलालेख
कालसी (उत्तराखंड) देहरादून के पास, धम्म और नैतिकता
मानसेहरा (पाकिस्तान) खरोष्ठी लिपि में
शहबाजगढ़ी (पाकिस्तान) खरोष्ठी लिपि में
सोपारा (महाराष्ट्र) खंडित अवस्था में
धौली (ओडिशा) कलिंग युद्ध का उल्लेख
जौगढ़ (ओडिशा) कलिंग क्षेत्र में
एर्रागुड़ी (आंध्र प्रदेश) दक्षिण भारत में

लघु शिलालेख (Minor Rock Edicts)

स्थान विवरण
मस्की (कर्नाटक) अशोक का नाम स्पष्ट उल्लेख
ब्रह्मगिरि (कर्नाटक) धम्म प्रचार का प्रारंभिक लेख
गुज्जरा (मध्य प्रदेश) लघु संदेश
नेट्टूर (आंध्र प्रदेश) स्थानीय प्रशासन पर
सहसराम (बिहार) धम्म और बौद्ध धर्म

स्तंभ लेख (Pillar Edicts)

स्थान विवरण
दिल्ली-टोपरा (दिल्ली) यमुना से स्थानांतरित, सात लेख
दिल्ली-मेरठ (दिल्ली) मेरठ से स्थानांतरित
लौरिया नंदनगढ़ (बिहार) पॉलिश युक्त स्तंभ
सारनाथ (उत्तर प्रदेश) सिंह चिह्न, भारत का राष्ट्रीय प्रतीक
प्रयाग (उत्तर प्रदेश) धम्म और प्रशासन पर
रामपुरवा (बिहार) बैल चिह्न वाला स्तंभ

गुफा शिलालेख

स्थान विवरण
बराबर गुफाएँ (बिहार) आजीवक संप्रदाय को समर्पित
नगरजुनी गुफाएँ (बिहार) आजीवक भिक्षुओं के लिए

विशेष शिलालेख

स्थान विवरण
रुम्मिनदेई (नेपाल) बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी की यात्रा
निगाली सागर (नेपाल) बुद्ध के स्तूप का उल्लेख
कंधार (अफगानिस्तान) द्विभाषी (ग्रीक और अरमाइक) शिलालेख

5. भाषा और लिपि

अशोक के शिलालेख विभिन्न भाषाओं और लिपियों में लिखे गए थे, जो उनकी व्यापक पहुंच को दर्शाते हैं।

प्रमुख भाषाएँ और लिपियाँ:
1. प्राकृत: ब्राह्मी लिपि में, भारत के अधिकांश शिलालेख।
2. खरोष्ठी: उत्तर-पश्चिम (पाकिस्तान) में, जैसे मानसेहरा।
3. ग्रीक: कंधार शिलालेख में।
4. अरमाइक: कंधार और तक्षशिला में।
        

ब्राह्मी लिपि आधुनिक देवनागरी और अन्य भारतीय लिपियों की पूर्वज मानी जाती है।

6. शिलालेखों का महत्व

अशोक के शिलालेख ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

महत्व विवरण
ऐतिहासिक मौर्य प्रशासन और अशोक के शासन की जानकारी
धार्मिक बौद्ध धर्म और धम्म का प्रचार
सांस्कृतिक भाषा, लिपि, और कला का विकास
सामाजिक नैतिकता, सहिष्णुता, और कल्याण नीतियाँ

उदाहरण: सारनाथ स्तंभ का सिंह चिह्न भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।

7. शिलालेखों की विशेषताएँ

  • पॉलिश तकनीक: स्तंभ लेखों में चमकदार पॉलिश, मौर्य कला की विशेषता।
  • प्रतीक: धर्म चक्र, सिंह, बैल, और हाथी जैसे प्रतीक।
  • सार्वजनिक संदेश: शिलालेख आम जनता के लिए थे, इसलिए प्रमुख मार्गों पर रखे गए।
  • स्थानीय अनुकूलन: स्थानीय भाषा और संस्कृति के अनुसार लेखन।

8. शिलालेखों से प्राप्त जानकारी

शिलालेखों से अशोक के जीवन और शासन के बारे में निम्नलिखित जानकारी मिलती है:

1. कलिंग युद्ध: युद्ध की भयावहता और अशोक का पश्चाताप।
2. धम्म नीति: अहिंसा, सहिष्णुता, और कल्याण।
3. बौद्ध तीर्थ: लुंबिनी, बोधगया की यात्राएँ।
4. विदेशी संबंध: श्रीलंका, ग्रीस, और मध्य एशिया के साथ संपर्क।
5. प्रशासन: धर्ममहामात्र, प्रजा कल्याण, और पर्यावरण संरक्षण।
        

9. शिलालेखों की खोज और संरक्षण

अशोक के शिलालेखों की खोज 19वीं शताब्दी में शुरू हुई।

  • जेम्स प्रिंसेप: 1837 में ब्राह्मी लिपि का डिकोडिंग, शिलालेखों की व्याख्या।
  • संरक्षण: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित।
  • स्थानांतरण: कुछ स्तंभ (जैसे दिल्ली-टोपरा) फिरोजशाह तुगलक द्वारा स्थानांतरित किए गए।

10. प्रमुख प्रतीक और शब्द

प्रतीक

- धर्म चक्र: धम्म और बौद्ध धर्म का प्रतीक।
- सिंह चिह्न: शक्ति और शासन।
- अशोक स्तंभ: नैतिकता और कला।
- बौद्ध प्रतीक: बोधि वृक्ष, स्तूप।

शब्द

  • धम्म: अशोक की नैतिक नीति।
  • धर्मलिपि: शिलालेख।
  • धर्ममहामात्र: धम्म प्रचारक अधिकारी।
  • ब्राह्मी: प्रमुख लिपि।

निष्कर्ष

सम्राट अशोक के शिलालेख भारतीय इतिहास, धर्म, और संस्कृति के अनमोल दस्तावेज हैं। ये न केवल अशोक के धम्म और प्रशासन को दर्शाते हैं, बल्कि प्राचीन भारत की भाषा, लिपि, और कला को भी उजागर करते हैं। उनकी वैश्विक पहुंच और नैतिक संदेश आज भी प्रासंगिक हैं।

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