🪔 जैन धर्म बनाम बौद्ध धर्म – विस्तृत तुलना
विषय | जैन धर्म | बौद्ध धर्म |
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संस्थापक | ऋषभदेव (प्रथम तीर्थंकर) महावीर (24वें तीर्थंकर) |
गौतम बुद्ध |
समय काल | छठी शताब्दी ई.पू. | छठी शताब्दी ई.पू. |
जन्म स्थान | कुंडग्राम (वैशाली) | लुंबिनी (नेपाल) |
मुख्य सिद्धांत | अहिंसा, अनेकांतवाद, आत्म संयम | मध्यम मार्ग, चार आर्य सत्य |
ईश्वर में विश्वास | सृष्टिकर्ता ईश्वर में नहीं, तीर्थंकरों की पूजा | कोई सृष्टिकर्ता नहीं, बुद्ध को मार्गदर्शक माना |
आत्मा का सिद्धांत | आत्मा (जीव) में विश्वास | अनात्मवाद – आत्मा का निषेध |
ग्रंथों की भाषा | प्राकृत, अर्धमागधी | पाली (हीनयान), संस्कृत (महायान) |
मुख्य ग्रंथ | आगम | त्रिपिटक |
मोक्ष का मार्ग | सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र | आष्टांगिक मार्ग |
समर्थक शासक | चंद्रगुप्त मौर्य (भद्रबाहु से दीक्षा), खरवेल | अशोक, कनिष्क, हर्षवर्धन |
समकालीन शासक | बिंबिसार, अजातशत्रु (प्रारंभिक तटस्थता) | बिंबिसार, अजातशत्रु (बुद्ध के अनुयायी) |
स्त्री भागीदारी | सीमित | भिक्षुणी संघ की स्थापना |
📘 निष्कर्ष
जैन और बौद्ध धर्म दोनों ही वैदिक कर्मकांड व वर्ण व्यवस्था के विरोध में जन्मे। जैन धर्म जहाँ कठोर तप व अहिंसा पर आधारित है, वहीं बौद्ध धर्म व्यावहारिक मध्यम मार्ग पर बल देता है। इन दोनों ने भारतीय समाज व दर्शन को गहराई से प्रभावित किया।
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